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फ़रवरी, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मंगला गौरी स्तोत्रं mangala gauri stotram

मंगला गौरी स्तोत्रं ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके । हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके ॥ हर्ष मंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके । शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके ॥ मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले । सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये ॥ पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते । पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम् ॥ मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले । संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् ॥ देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः । प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे ॥ तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम् । वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने ॥ मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले । ॥ इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं ॥

महामृत्युंजय जप विधि

        महामृत्युंञ्जय जप विधि अथारिष्टशान्त्यर्थं महामृत्युंजयजप विधिः आचम्य प्राणानायम्य शांतिपाठं पठित्वा सुमुखश्चेत्यादिनां गणेशस्मरणं च कृत्वा| संकल्पः- अमुकमास्यां, अमुकपक्षयां, अमुकतिथौ अमुकवासरे स्वस्य(यजमानस्य) शरीरे उत्पन्नोत्पत्स्यमाना ऽ खिलारिष्ट निवृत्तये श्री मृत्युंजयप्रसादादीर्घायुष्यसततारोग्यावाप्त्ये महामृत्युंजय जप महं करिष्ये|| ऋष्यादिन्यासः वामदेवकहोलवशिष्ठाॠषयःमूर्धि्नः || पंक्तिर्गायत्री अनुष्टुप्-छंदासि वक्त्रे|| सदाशिवमहामृत्युंजय रूद्र देवतायैनमः हृदि|    ह्रीं शक्तये नमो लिंङ्गे | श्रीं बीजाय नमः पादयोः | इति ऋष्यादिन्यासः || ॐ हौं ॐ जूँ सः भूर्भुवः स्वः त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिंपुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिवबंध्नान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ भूर्भुवः स्वःॐ जूँसः हौं ॐ || अस्य श्रीमहामृत्युंजय मन्त्रस्य वामदेवकहोलवशिष्ठाॠषयःपंक्तिः गायात्र्युषि्णगनुश्तुपछंदासि सदाशिवमहामृत्युंजयरूद्रदेवता ह्रीं शक्तिः श्रीबीजं महामृत्युंजय प्रीतये ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः | ॐ हौं ॐ जूँ सः भूर्भुवः स्वः त्र्यंबकं ॐ नमो भगवते रुद्राय शूलपाणये स्वाह...

सर्वसिद्धिप्रदायक गणेश स्तोत्रं sarv siddhipradayak ganesh stotra

          सर्वसिद्धिप्रदायक गणेश स्तोत्रं नमोस्तु गणनाथाय सिद्धिबुद्धि युताय च । पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम् ।। ते सर्वे तव पूजार्थे निरता : स्युर्वरो मत : । भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायक ।। शरणं भव देवेश संतति सुदृढां कुरू । प्रपन्नजनपालाय प्रणतार्तिविनाशिने ।। एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम : । नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुण्डिने ।। विश्वमूलाय भव्याय विश्वसृष्टि कराय ते । गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने ।। गुरूदराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यसिताय ते । सर्वप्रदाय देवाय पुत्रवृद्धि प्रदाय च ।।        ।। ॐ पार्वती प्रिय नंदनाय नमः ।।

शिवमहिम्न: स्तोत्रं

                  शिव के दो रूप हैं, सौम्य तथा रौंद्र | कलियुग में जहाँ महाशिव के सौम्य रूप की महिमा का गान करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है वहीँ इसे शास्त्रों में संतान प्राप्ति के लिए भी फलदाई बताया गया है जबकि  प्राचीन काल में संतानप्राप्ति के लिए  पुत्रेष्टि यज्ञ करने का विधान था |                                               शिवमहिम्न: स्तोत्रं                                                        ...

प्राचीन पूजा विधि

वाराणसी के मूर्धन्य और प्रख्यात ज्योतिष विद्वान, कर्मकांडी तथा वेदपाठी ब्राह्मण स्व. श्री वामन जी कन्हैयालाल दीक्षित अपने जीवनपर्यंत समाज तथा संस्कृत साहित्य की सेवा करते रहे |उनके पश्चात उनके सुपुत्र    श्री गणपत जी दीक्षित (गणपत काका) इस प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं | इनके बड़े भ्राता श्री सुदर्शन जी दीक्षित (चमक्कू काका) भी अपनी बैंक सेवानिवृत्ति के पश्चात अपने पिता के ग्रंथों,स्मृतियों और उपलब्ध अत्यंत प्राचीन पुस्तकों के द्वारा उपलब्ध बहुमूल्य कृतियों रूपी धरोहर का संकलन तथा संरक्षण करने में लगे हैं |   इनसे प्राप्त कुछ अद्भुत और दुर्लभ मन्त्रों , क्रियाओं और प्राचीन पूजा विधि का संकलन किया गया है |   पूजा विधि हिंदू सनातन धर्म में किसी भी पूजा-कर्म का आरम्भ गणपति पूजन से किया जाता है | गणपति पूजन ॐ गं महागणपतये नमः | नमस्कार :- गणपति परिवारं चारु केयूरहारम् | गिरिधरवरसारं योगिनीचक्रचारम् || भवभयपरिहारं दुःखदारिद्र्यहारम् | गंपतिमभिवंदे वक्रतुंडावतारम् || वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ | निर्विध्नं कुरु में देव सर्वकार्येषु ...