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छान्दोग्योपनिषद (तृतीय प्रपाठक द्वादश खण्ड हिंदी भावार्थ सहित)

छान्दोग्योपनिषद (तृतीय प्रपाठक द्वादश खण्ड हिंदी भावार्थ सहित)                  ॥ द्वादश खण्ड ॥ गायत्री वा इदं सर्वं भूतं यदिदं किं च वाग्वै गायत्री वाग्वा इदं सर्वं भूतं गायति च त्रायते च ॥ ३. १२. १ ॥ इस जगत में जो कुछ भी है, निश्चय ही सब गायत्री अर्थात परब्रह्म ही है । वाणी से गायत्री का गान वास्तव में परमात्मा (परमात्मा के भूत, पृथ्वी, शरीर और ह्रदय ये चार पाद होते हैं) के नाम का ही उच्चारण मात्र है और यही गान परमात्मा के प्रथम पाद भूत के रूप में समस्त भूतों-प्राणियों की रक्षा करता है । या वै सा गायत्रीयं वाव सा येयं पृथिव्यस्याँ हीदं सर्वं भूतं प्रतिष्ठितमेतामेव नातिशीयते ॥ ३. १२. २ ॥ गायत्री रुपी परब्रह्म नारायण पृथ्वी के रूप में सबका पालन करते हैं। पृथ्वी ब्रह्म स्वरुप होने से ही सभी भूतों और प्राणिमात्र को धारण करने की क्षमता रख पाती है। इसीलिए परमात्मा के द्वितीय पाद ब्रह्मरूप इस पृथ्वी को कोई भी प्राणी लाँघ नहीं पाता।  या वै सा पृथिवीयं वाव सा यदिदमस्मिन्पुरुषे शरीरमस्मिन्हीमे प्राणाः प्रतिष्ठिता एतदेव नातिशीयन्ते ॥ ३. १२. ३ ॥ परब्रह्म पृथ्वी पर धारित जो