..लायक बेटा

...लायक बेटा
    उसने कड़ी मेहनत करके सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला पाया।
खेतिहर मजदूर माता-पिता ने मेहनत मजदूरी कर-करके उसे पढ़ाया, सब खर्चे उठाए।
जब वो पैदा हुआ..तो कर्जा करके पूरे गाँव मे लड्डू बंटवाए थे।
वह हमेशा अपने माँ-बाऊजी को खुश रखना चाहता था।
....फिर कई सालों के स्ट्रगल के बाद उसे शहर में एक ठीक-ठाक सी नौकरी मिल गई।
लायक बेटा माँ-पिता को शहर ले आया।
बेटे के साथ दोनों बड़े प्रसन्न।
किराए पर एक मकान ले लिया, ऐसा लगा मानो दुख के दिन अब जा चुके थे।
दिन आराम से गुजरने लगे।
...और फिर उस बेटे ने अपने ऑफिस की एक सुंदर सी लड़की से शादी कर ली।
कुछ दिन ही तो बीते थे...।
गाँव के गँवार सास-ससुर को झेलना उसकी पत्नी को पसंद नहीं आया।
अब वह उन्हें वापस गाँव में छोड़ आया है।
बेटे ने ही बताया--
"माता-पिता की इच्छा है, उनका अंतिम समय गाँव में ही गुजर जाय।"
...विश्वास दिलाकर आया है..पैसे वो उन्हें भेजता रहेगा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सप्तश्लोकी दुर्गा Saptashlokee Durga

हरि अनंत हरि कथा अनंता। A Gateway to the God

नारायणहृदयस्तोत्रं Narayan hriday stotram