दुःख निवृत्ति

जन्म गुह्यं भगवतो य एतत्प्रयतो नरः।
सायंप्रातः गृणन्भक्त्या दुःखग्रामाद्धिमुच्यते।
१/३/२९
भगवान के दिव्यवतारों की कथा अत्यंत गोपनीय और रहस्यमयी है, जो मनुष्य एकाग्र चित्त से नियमपूर्वक प्रातः और सायंकाल हृदयः में प्रेम रखकर इस कथा का पाठ करता है, वह सब दुखों से छूट जाता है।१/३/२९

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सप्तश्लोकी दुर्गा Saptashlokee Durga

हनुमत्कृत सीतारामस्तोत्रम् Hanumatkrit Sitaram stotram

नारायणहृदयस्तोत्रं Narayan hriday stotram