मेरा दिन है आज

भीषण तपती गर्मी
एक मई की दुपहरी
वह बहुत खुश है,
आज उसकी बेटी को खाना मिलेगा।
बेटी कहती है..
गर्मी गंदी है बापू
स्कूल की छुट्टी
तो मिड डे मील भी बन्द ?
पर..
आज फिर उसे काम मिला है,
सेठ की तीसरी मंजिल
उसकी रोटी है,
निचली मंजिल के एसी पंखे से
आती गर्म हवा..
सर से ईंटों का गट्ठर उतारते समय
उसका पसीना सुखाती हैं..।
नमक और सत्तू है,
उसका ग्लूकोज़..
जो देता है उसे शक्ति
अगले दिन काम ढूँढने की
सुना है!
आज उसका दिन है..
मजदूर दिवस..।
दिनभर सोकर थके नेता
शाम उठा लेंगे झंडे, जुटाएँगे लोग..
लगाएँगे नारे,
मशाल और पोस्टर ले,
सभा करेंगे, लगाएँगे भोग..
फिर प्रस्थान करेंगे, अपने-अपने घर को..
वह कहता है-
मैं संध्या को खतम करूँगा
आज का काम..
पीऊँगा..ठंडा पानी
जो अभी तक मुफ्त है..
थोड़ा सा आटा ले..
जाऊँगा अपनी झोपड़,
बेटी को खिलाऊँगा..
अपने हाथों,
देखूँगा उसके चेहरे की हँसी
और खुशी से मनाऊँगा..
अपना दिन..।
मेरा दिन है आज,
मजदूर दिवस।

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