श्री हनुमान जन्मोत्सव विशेष
श्री हनुमान जन्मोत्सव विशेष ******************** प्रभु श्रीरामजी ने रावण का वध कर पृथ्वी को भार मुक्त कर दिया। विभीषण और सुग्रीव अपना राज सँभालने में लग गए थे। वानर अब भी अपने प्रभु राम को छोड़कर जाना चाहते नहीं थे, परन्तु प्रभु की आज्ञा से वे भी बुझे मन वापस लौटने लगे। सौमित्र अपने हाथों से सभी को फल-फूलों के साथ विदा दे रहे थे। विभीषण और सुग्रीव भी पुष्पक से अयोध्या तक श्री राम को पहुँचाने की अनुमति तो प्राप्त कर चुके थे, पर उन्हें फिर लौटना ही है। इधर श्रीराम एक विशाल शिला पर बैठे समुद्र की उठती गिरती लहरों को निर्विकार निहार रहे हैं। और... हनुमानजी प्रभु के चरणों में बैठे हैं और अपने दोनों हाथों से बारी-बारी से चरणों को धोकर दुपट्टे से पोंछते और दबाने लगते हैं। उनके नेत्र बन्द हैं... मुख से मन्द स्वर में नामजप... सीताराम! सीतार...