क्या माँगे भगवान से
जे निज भगत नाथ तव अहहीं।
जो सुख पावहिं जो गति लहहीं॥
सोइ सुख सोइ गति सोइ भगति
सोइ निज चरन सनेहु।
सोइ बिबेक सोइ रहनि प्रभु
हमहि कृपा करि देहु॥
हे नाथ! आपके जो भी परम् भक्त जन हैं, व आपके सानिध्य से जो अलौकिक,अखंड और दिव्य सुख पाते हैं और जिस परम गति को प्राप्त होते हैं,
हे प्रभो! वही सुख, वही गति, वही भक्ति, वही अपने चरणों में प्रेम, वही ज्ञान और वही रहन-सहन कृपा करके हमें दीजिए॥
जो सुख पावहिं जो गति लहहीं॥
सोइ सुख सोइ गति सोइ भगति
सोइ निज चरन सनेहु।
सोइ बिबेक सोइ रहनि प्रभु
हमहि कृपा करि देहु॥
हे नाथ! आपके जो भी परम् भक्त जन हैं, व आपके सानिध्य से जो अलौकिक,अखंड और दिव्य सुख पाते हैं और जिस परम गति को प्राप्त होते हैं,
हे प्रभो! वही सुख, वही गति, वही भक्ति, वही अपने चरणों में प्रेम, वही ज्ञान और वही रहन-सहन कृपा करके हमें दीजिए॥
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