आक्रोश

ये कहना ही बहुत नहीं
कि बातों में गहराई है।
व्यंग्य बहुत पैना है
सीने पे चोट खाई है।
बहुतों से बहुत आगे
सोचने का माद्दा है।
यादों में अतीत है औ..
भविष्य की सच्चाई है।
ये वर्तमान समय साथी
शीर्ष पर ले जा रहा
इसका प्रयोग तो अर्थ है
रह गया तो फिर व्यर्थ है।
चिंगारी जब सुलग जाए
फिर लौ को लपट बनने दो।
व्यथित मन उदगार सारे
लार्व बन के बहने दो।


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