श्री लक्ष्मीकवचम्


            श्री लक्ष्मीकवचम्

शिरो मे रक्षताद् देवी, पद्मा पंकजधारिणी ।
भालं पातु जगन्माता, लक्ष्मीः पद्मालया च मे ।।
मुखं पायान्महा-माया, दृषौ मे भृगुकन्यका ।
घ्राणं सिन्धु-सुता पायान् नेत्रे मे विष्णुवल्लभा ।।
कण्ठं रक्षतु कौमारी, स्कन्धौ पातु हरिप्रिया ।
हृदयं मे सदा रक्षेत् सर्व-शक्तिविधायिनी ।।
नाभिं सर्वेष्वरी पायात् सर्वभूतालया च मे ।
कटिं च कमला पातु, उरू ब्रह्मादिदेवता ।।
जंघे जगन्मयी रक्षेत्, पादौ सर्वसुखावहा।
श्री वीजवासनिरता, सर्वांगे जनकात्मजा ।।
सर्वतोभद्र-रूपा मामव्याद् दिक्षु विदिक्षु च ।
विषमे संगटे दुर्गे, पातु मां व्योमवासिनी ।।



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