षष्ठं कात्यायनी


षष्ठं कात्यायनी
चन्द्रहासोज्वलकराशार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभदधादेवी दानवघातिनी॥
ध्यान
वन्देवांछितमनोरथार्थ चन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढचतुर्भुजाकात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णवर्णाआज्ञाचक्रस्थितांषष्ठम्दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीतंकरांषगपदधरांकात्यायनसुतांभजामि॥
पटाम्बरपरिधानांस्मेरमुखींनानालंकारभूषिताम्।
मंजीर-हार-केयुरकिंकिणिरत्नकुण्डलमण्डिताम्।।
प्रसन्नवंदनापज्जवाधरांकातंकपोलातुगकुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषितनिम्ननाभिम्॥
स्तोत्र
कंचनाभां कराभयंपदमधरामुकुटोज्वलां।
स्मेरमुखीशिवपत्नीकात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बरपरिधानांनानालंकारभूषितां।
सिंहास्थितांपदमहस्तांकात्यायनसुते नमोऽस्तुते ॥
परमदंदमयीदेवि परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति परमभक्ति् कात्यायनसुते नमोऽस्तुते ॥
विश्वकर्ती विश्वभर्ती विश्वहर्ती विश्वप्रीता।
विश्वाचितां विश्वातीता कात्यायनिसुते नमोऽस्तुते ॥
कां बीजा  कां जपा नंदकांबीज जपतोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ता कां कां सन्तुता॥
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मूर्ति पूजिताकां बीजधारिणी।
कां कीं कूं कै क:ठ:छ:स्वाहारूपिणी॥
कवच
कात्यायनौमुखः पातुकां कां स्वाहास्वरूपणी।
ललाटेविजया पातुपातुमालिनी नित्यसुंदरी॥
कल्याणी हृदयंपातु जयां भगमालिनी॥

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