द्वितीयं ब्रह्मचारिणी

              द्वितीयं ब्रह्मचारिणी
दधानापरपद्माभ्यामक्षमालाककमण्डलम्।
देवी प्रसीदतुमयिब्रह्मचारिणयनुत्तमा॥
ध्यान
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलुधरांब्रह्मचारिणी शुभाम्।
गौरवर्णास्वाधिष्ठानस्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्।
पदमवंदनांपल्लवाधरांकातंकपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखींनिम्न नाभिंनितम्बनीम्।।
स्तोत्र
तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारणीम्।
ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणींप्रणमाम्यहम्।।
नवचग्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।
धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति दायिनी
शांतिदामानदाब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।
कवच
त्रिपुरा मेहदयेपातुललाटेपातुशंकरभामिनी
अर्पणासदापातुनेत्रोअधरोचकपोलो॥
पंचदशीकण्ठेपातुमध्यदेशेपातुमाहेश्वरी
षोडशीसदापातुनाभोगृहोचपादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातुब्रह्मचारिणी॥

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