मत्स्यावतार स्तोत्रम् matsyavataar stotram


                              
      मत्स्यावतार स्तोत्रम्   

नूनं त्वं भगवान्साक्षाद्धरिर्नारायणोऽव्ययः ।
अनुग्रहाय भूतानां धत्सेरुपंजलौकसाम् ॥ १ ॥
नमस्ते पुरुषश्रेष्ठ स्थित्युत्पत्त्यप्ययेश्‍वर ।
भक्‍तानां नः प्रपन्नानां मुख्योह्यात्मगतिर्विभो ॥ २ ॥
सर्वेलीलावतारास्ते भूतानां भूतिहेतवः । 
ज्ञातुमिच्छाम्यदो रूपं यदर्थं भवताधृतम् ॥ ३ ॥
न तेऽरविन्दाक्ष पदोपसर्पणं मृषा भवेत्सर्वसुह्रत्प्रियात्मनः । 
यथेतरेषां पृथगात्मनां सतामदीदृशो यद्वपुरद्‌भुतं हि नः ॥ ४ ॥
               इति श्रीमद्-भागवतपुराणे मत्स्यावतास्तोत्रं सपूर्णम् ।

   
                      

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