श्रीराम स्तुति Shree Ram stuti

श्री राम स्तुति


नमामि भक्तवत्सलं कृपालु शील कोमलं

भजामि ते पदांबुजं अकामिनां स्वधामदं।

निकाम श्याम सुंदरं भवांबुनाथ मन्दरं

प्रफुल्ल कंज लोचनं मदादि दोष मोचनं॥१॥

प्रलंब बाहु विक्रमं प्रभो5प्रमेय वैभवं

निषंग चाप सायकं धरं त्रिलोक नायकं।

दिनेश वंश मंडनं महेश चाप खंडनं

मुनींद्र संत रंजनं सुरारि वृंद भंजनं॥२॥

मनोज वैरि वंदितं अजादि देव सेवितं

विशुद्ध बोध विग्रहं समस्त दूषणापहं।

नमामि इंदिरा पतिं सुखाकरं सतां गतिं

भजे सशक्ति सानुजं शची पति प्रियानुजं॥३॥

त्वदंघ्रि मूल ये नरा: भजन्ति हीन मत्सरा:

पतंति नो भवार्णवे वितर्क वीचि संकुले।

विविक्त वासिन: सदा भजंति मुक्तये मुदा

निरस्य इंद्रियादिकं प्रयांति ते गतिं स्वकं॥४॥

तमेकमद्भुतं प्रभुं निरीहमीश्वरं विभुं

जगद्गरुं च शाश्व तं तुरीयमेव मेवलं।

भजामि भाव वल्लभं कुयोगिनां सुदुर्लर्भ

स्वभक्त कल्प पादपं समं सुसेव्यमन्वहं॥५॥

अनूप रूप भूपतिं नतो5हमुर्विजा पतिं

प्रसीद मे नमामि ते पदाब्ज भक्ति देहि मे।

पठंति ये स्वतं इदं नरादरेण ते पदं

व्रजंति नात्र संशयं त्वदीय भक्ति संयुता:॥६॥

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