हमारी दिनचर्या Our Daily Routine








इस दिनचर्या को अपनाकर देखे..............



ॐ श्री गणेशाय नमः



ब्रह्म मुहूर्त में निद्रा त्याग कर

उठ जाएँ और इस मन्त्र के साथ अपने प्रातःकाल का आरम्भ करें
इसके पश्चात् अपने दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर ऊपर अँगुलियों, फिर मध्य में और हथेलियों की जड़ में देखे तथा क्रमशः महादेवी लक्ष्मी, सरस्वती तथा श्री गोविन्द का ध्यान करे और इस मंत्र का जाप करे.
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती करमूले तू गोविन्दं प्रभाते करदर्शनम !!१!!
समुद्र वसने देवी पर्वतस्तन मंडले, विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे !!२!!
....अब झुककर पृथ्वी को हाथो से छूकर अपने माथे से लगाये तत्पश्चात पैर नीचे रखे!
...इसके बाद बिना मुख को जल से कुल्ला करे * ही रात्रि का रखा ताम्र पात्र का ३ से ४ गिलास जल अत्यंत हुआ धीरे-धीरे पी लें, यदि मिटटी के बर्तन में रखा हुआ जल है तो उसे हल्का उष्ण कर लेवें अब ५ मिनट के बाद शौच के लिए चले जाएँ

यही क्रम ३-४ महीने तक कर के देखेगे तो स्वयं आप को अपने स्वास्थय में आश्चर्यजनक लाभ दिखाई देगा
अब हल्का व्यायाम करे अथवा तेज चाल से चलते हुए ४-५ किलोमीटर तक पैदल चले जिससे शरीर से पसीना निकले और साथ ही विषैले पदार्थ भी बाहर निकल जाएँ

वापस आकर थोड़े विश्राम के बाद पूर्ण स्नान करें तथा अपने हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार ईश्वर की पूरे मन से पूजा अर्चना करें

*महर्षि वाग्भट्ट के अनुसार

स्तोत्र पाठ विधि



अपने हाथों को धोकर , दाहिने हाथ में जल ले और " ॐ केशवाय नमः ,ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः " मन्त्र पढ़े इसके पश्चात तीन बार आचमन और प्राणायाम करे अब अपने शरीर को शुद्ध करने के लिए निम्न मन्त्र पढ़कर --



" ॐ अपवित्रः पवित्रो व सर्वावस्थां गतोऽपि वा

यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः "



अपने शरीर तथा आसन पर जल छिड़क कर शुद्ध करे जबतक मन,क्रम, वचन अर्थात वाणी तथा शरीर शुद्ध नही होगा तब तक कोई भी पूजा- पाठ ,अनुष्ठान या पुण्य कार्य सिद्ध और फल-दायक नहीं होता है अब हाथ में जल और पुष्प लेकर इस मन्त्र के साथ पाठ का संकल्प करे


"ॐ अत्राद्य महामाङ्गल्य प्रतिमासोत्तमे मासे अमुक मासे, अमुक पक्षे, अमुक तिथौ, अमुक वासरे अमुक गोत्रः, अमुक शर्म-वर्म-गुप्ताहं ,अमुक कार्य-सिद्धर्थं ( जैसे- स्वमनःशान्त्यर्थं, परमेश्वर्य प्रीत्यर्थं ) पाठं महं करिष्ये " कहते हुए पृथ्वी पर जल छोड़ दे अब मृदु भाषा में मंद स्वर से अपने इष्ट देव का ध्यान करते हुए पाठ करने से शीघ्र तथा यथेस्ट फल प्राप्त होता है



दिनचर्या से, तथा अन्य से संबंधित अधिक विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क - ajmernagar@gmail.com

टिप्पणियाँ

c.patil ने कहा…
बहोत खुब मुकेश जी
DHANANJAY KULKARNI ने कहा…
Namaste,
Kya aap subah uthne ke samay se lekar din ke sabhi karyon sahit raat ko sone ke samay tak ke sabhi mantr batayenge?

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